नस्या एक राष्ट्रीय आंदोलन है, जिसकी स्थापना 20 दिसंबर 2008 को जयपुर में आयोजित तृतीय विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के दौरान की गई थी। देशभर से आए हजारों छात्रों एवं युवाओं ने एक स्वर में नस्या के उद्देश्य को पूर्ण मनोयोग से अपनाने और इसके प्रचार-प्रसार हेतु अपने समर्पण की घोषणा की।
नस्या की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद के छात्रों और युवाओं मेंशास्त्रीय अध्ययन, नैदानिक अभ्यास तथा अनुसंधानके तीनों स्तरों पर जागरूकता एवं प्रतिबद्धता को पुनर्जीवित करना है, जिससे भारत मेंआयुर्वेद संस्कृतिको उसके वास्तविक रूप में पुनर्स्थापित किया जा सके। वर्तमान में, नस्या देशभर में100 से अधिक संस्थानोंसे संपर्क स्थापित कर चुका है तथा6000 से अधिक छात्र एवं युवा शोधकर्ताइस अभियान का हिस्सा बन चुके हैं।